खवाबो में रंग भरते हैं

चलो ख्वाबों में रंग भरते हैं,

कुछ बदमाशियां भी करते हैं।

हमेशा खुद को सीमाओं में बांधना ठीक नहीं,

यूँ ही, बस गुनगुनाते भर नही

ऊँची आवाज में गाते हैं।

बस मुस्कराते भर नहीं,

ठहाका भी लगते हैं।
कुछ बदमाशियां भी करते हैं|