रिश्ते

आँसू अपने खुद ही पोंछे,
खुद को ही समझाए हैं।
रिश्ते सब अपने हैं,
औ लगते सभी पराये हैं।
ठोकर लगते ही दूर हुए,
औ संभल गए तो साथ आए हैं।
आँसू जब आँखों में थे तो,
दूर कर लिया हाथों को।
अब जब हम मुस्काए तो
पास मेरे सब आये हैं।
कहने को तो सब अपने हैं,
पर काम कभी न आये हैं।।