वक्त

सुबह का कुहासा सा है तू,
कुछ तिलस्म सा
तो कुछ जाना पहचाना सा है तू ।
वक़्त, तेरे सा कोई नहीं,
कभी अपना सा
तो कभी बेगाना सा है तू ।
भरोसा तुझ पे कोई कैसे करे,
पल में बाबफा,
तो पल में बेबफा सा है तू ।।