नारी…

मैं हर जर्रे में हूँ, और मेरा कोई वजूद नही।
थोड़ी थोड़ी बंटी हूँ मैं, हर जगह, हर पहर।
किसी के दिल, किसी के दिमाग,
और किसी की जरूरतों में हूँ मैं।
मैं हूँ हर जगह, और कहीं भी नहीँ ।
मैं हूँ हर जगह और कहीं भी नहीं ।।