हारना लाजिम ही था

दौड़ में हारना तो, लाजिम ही है,
जो दौड़ सकते हैं उनसे,
बैसाखियां बनवा रहे हो।
हर शय तुम्हारी मर्जी की पाबंद नहीं,
माथे की लकीरों से टकरा रहे हो ।
वक्त जब बोलता है तो,
हर जर्रे को सुनाई देता है,
और तुम चुप्पियों पर,
बोलियां लगवा रहे हो।