तुम बदल जाओ जरा

तुम बदल जाओ जरा,
मान लो कि जैसे,
धरती घूमती है खुद ब खुद
सूरज ताप देता है और
बारिश की बूदें शीतल होती है स्वयं ही ।
बस मान लो और जी लो
जरा खुद के लिए ।
गाओ खुल के कभी,
दौड़ लो जरा हरे मैदानो में
नाच लो बेपरवाह होके,
तुम बदल जाओ जरा,
तुम बदल जाओ जरा ।